- टास्कअस ने हर महीने 250 से ज़्यादा नए स्टाफ को नियुक्त करने की योजना के साथ इंदौर में तेजी से विस्तार शुरू किया
- Capture Every Live Moment: OPPO Reno13 Series Launched in India with New MediaTek Dimensity 8350 Chipset and AI-Ready Cameras
- OPPO India ने नए AI फीचर्स के साथ पेश की Reno13 सीरीज़
- इंदौर एनिमल लिबरेशन की पहल: जानवरों के अधिकारों का हो समर्थन
- सपनों को साकार करने का मंच बन रहा है ‘प्लास्ट पैक 2025’
शनि जयंती शुक्रवार को, इन उपायों से होगा लाभ
शनि देव जयंती 22 मई शुक्रवार
डॉ श्रद्धा सोनी, वैदिक ज्योतिषाचार्य, रतन विशेषज्ञ
ये शनि जयंती 30 साल बाद आ रही हैं शनि देव अपनी #स्वराशि में विराजमान है । ये बेहद ही खास जयंती है ।
अपनी राशि पर शनि की साढ़ेसाती के आरंभ होते ही हर प्राणी यह सोचता ह, अब क्या होगा !
लेकिन साढ़ेसाती की 2700 दिन की अवधि का समय कष्टकारक ही हो ऐसा नहीं हैं।
किसी भी राशि पर जिस पर शनिदेव की साढ़ेसाती आरंभ होने वाली हो उस राशि के किस अंग पर इनका विचरण होता है.
यदि आप इसे समझ कर उसी के अनुसार उपाय करें तो साढ़ेसाती एवं ढैय्या के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है।
शनि की साढ़ेसाती का प्रथम 100 दिन मुख पर प्रभाव-
साढ़ेसाती के आरंभ होते ही इनका प्रथम प्रभाव 100 दिनों तक मनुष्य के मुख पर रहता है। जो बेहद कष्ट कारक होता है ।
दूसरा प्रभाव 400 दिन दाहिनी भुजा पर
तीसरा प्रभाव 600 दिनों तक प्राणियों के चरणों में
चौथा प्रभाव 500 दिनों तक पेट (उदर) पर
पांचवां प्रभाव 400 दिनों तक बाईं भुजा पर
छठवां प्रभाव 300 दिनों तक प्राणियों के मस्तक पर
सातवां प्रभाव 200 दिनों तक नेत्रों पर
आठवां प्रभाव 200 दिनों तक प्राणियों के गुदास्थान पर
यह काल शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण होता है
अभी शनि महाराज वक्री हुए हैं जिससे प्राकृतिक आपदा, भूकंप, तूफान, दुर्धटना में जान-माल की हानि का योग बना हुआ है।
शनि देव 8 राशियों को प्रभावित करते हैं।
तीन पर साढ़ेसाती , दो पर ढैया, तीन पर दीर्ष्टि,,
ये हैं 8 राशियां
– मेष मिथुन कर्क तुला धनु मकर कुंभ मीन ।
– पहले शनि देव के भोग लगाएं
– मजदूर व गरीब लोगों को भर पेट भोजन खिलाये
पूरी, काले छोले, आलू की सब्जी, हलवा, भोजन में ।
काले जूते चपल काली जुराब दान करे
पीपल के नीचे शनि देव की प्रतिमा रख कर अभिषेक करें ,,तेल से।
प्रतिमा नही है तो लोहे की कोई वस्तु को प्रतिमा मान कर अभिषेक करें मीठा जल पीपल पर अर्पित करे दीपक लगाए परिक्रमा करे
शनि देव की पूजा करने के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करना चाहिये।
शनिमंदिर के साथ-साथ हनुमान जी के दर्शन भी जरूर करने चाहिये।
शनि पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।
इस दिन यात्रा को भी स्थगित कर देना चाहिये।
गाय और कुत्तों को भी तेल में बने पदार्थ खिलाने चाहिये।
बुजूर्गों व जरुरतमंद की सेवा और सहायता भी करनी चाहिये।
सूर्यदेव की पूजा इस दिन न ही करें तो अच्छा है।
शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर को देखते समय उनकी आंखो में नहीं देखना चाहिये।